बटाला के सबक

बटाला के सबक समाचारों में इसे महज हादसा ही बताया जा रहा है, लेकिन गुरदासपुर के बटाला कस्बे की गैरकानूनी पटाखा फैक्टरी में हुए विस्फोट और आगजनी को हादसा बताना इसके पीछे की गलतियों और लापरवाहियों को बहुत कम करके देखना होगा। जिस एक घटना में 23 लोगों की जान चली गई और कई घायल हो गए, वह हादसा नहीं, एक बहुत बड़ा अपराध है। यह अपराध तभी शुरू हो जाता है, जब हम कहते हैं- गैरकानूनी पटाखा फैक्टरी। खबरों में बताया गया है कि इस पटाखा फैक्टरी का लाइसेंस 2013 में ही खत्म हो गया था, उसके बाद भी अगर यह धडल्ले से चल रही थी, तो इसका सीधा अर्थ है कि प्रशासन को इस मामले में दोषमुक्त नहीं कहा जा सकता। और बात सिर्फ इतनी नहीं है। इसी जगह इसी फैक्टरी में 2017 में भी विस्फोट हुआ था और उसमें दो लोगों की जान गई थी, तब भी यह गैर-कानूनी फैक्टरी ही थी। जाहिर है, 2013 में लाइसेंस खत्म होने के बाद काम न तब रुका था, और न अब रुका। यहां तक कि तब भी नहीं, जब दो लोगों की जान चली गई। यह बताता है कि स्थानीय प्रशासन को इस मामले में किसी भी तरह से बरी नहीं किया जा सकता। बेशक एक बड़ा दोष फैक्टरी मालिक का है। लेकिन अब इसे कहने का कोई विशेष अर्थ नहीं है। एक बच्ची के अलावा उसका पूरा परिवार इस हादसे में मारा गया है। यह मौका अब उन्हें कठघरे में खडा करने का है, जिनकी वजह से रिहाइशी इलाके में इतना खतरनाक काम हो रहा था। दीपावली अब दूर नहीं है और इनदिनों देश भर में पटाखे बनाने काकाम जोरों पर शुरू हो जाता है। लाइसेंस वाली फैक्टरियों के अच्छा अलावा बिना लाइसेंस वाली रहे फैक्टरियां भी अवैध रूप से यह काम शुरू कर देती हैं। पंजाब में लखवी इस बार दीपावली के अलावा भी भारत एक खास अवसर है। इस साल गुरु गतिविधि नानक देव का 550वां जयंती तहत समारोह सब जगह मनाया जा रहा हैहै। ऐसे मौकों पर जश्न मनाने का कई एक तरीका होता है आतिशबाजी रहे करना। कुछ खबरों में बताया गया से है कि इन्हीं समारोहों के लिए इस सामने गैरकानूनी पटाखा फैक्टरी को भारी कि मात्रा में ऑर्डर मिले थे। शायद इसीलिए वहां भारी मात्रा में पटाखे शामिल बनाने की खतरनाक सामग्री भी मिलेगीजमा की गई होगी, जो इस भयावह कांड का कारण बनी। जाहिर है, यह बदलाव कोई चुपचाप होने वाला काम नहीं था। साथ ही, यह ऐसा समय भी कवायद था, जब संबंधित विभाग से अपनी कूटनीतिक सालाना सक्रियता दिखाने की सकेगीउम्मीद की जाती है। कम से कम ऐसी जगहों की जांच तो होनी ही हम चाहिए थी, जहां पहले हादसे हो ठहरा चुके हैं। इसलिए दो ही बातें हो सकती हैं या तो संबंधित विभाग ने सीधी लापरवाही बरती या यह काम सकेगीमिलीभगत से चल रहा था। ऐसी घटनाओं के बाद अक्सर उन बनाया लोगों को बख्श दिया जाता है, जिन एपर इन्हें रोकने की जिम्मेदारी होती है। इसके बाद जो भी जांच और शामिल कागजी व अदालती कार्रवाई होतीया है, वह निरर्थक भले ही न होती हो, थालेकिन उसका कोई बड़ा या संगठनों दीर्घकालिक प्रभाव देखने में नहींनाम आता है। न ऐसी घटनाओं से कोई सबक सीखने की ही कोई परंपरा है नाम और न उनकी पुनरावृत्ति रोकने के संस्था लिए कहीं कुछ ठोस होता है। खिलाफ आमतौर पर ऐसी किसी भी भयावह घटना के बाद हम अगली भयावह मगर घटना का इंतजार करने के लिए अभिशप्त होते हैं। क्या बटाला की करने इस घटना के बाद यह सिलसला प्रभावशाली अब खत्म होगा।