नई दिल्ली निपाह वायरस से पीड़ित मरीजों का इलाज करते हुए जान गंवाने वाली लिनी पुथुसेरी 30 वर्ष को मरणोपरांत नेशनल फ्लोरेंस नाइटेंगल अवार्ड से सम्मानित किया गया। गुरुवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने लीनी के पति सजीश को यह अवार्ड दिया, अपने अंतिम समय में कौन परिवार का साथ नहीं चाहता, लेकिन केरल की इस नर्स को ये भी नसीब न हो सका,वो केरल में मरीजों को निपाह वायरस से बचाते-बचाते ख़ुद भी चपेट में आ गईं,31 साल की नर्स लिनी पुथुसेरी ने जीवन के आख़िरी वक़्त में अपने पति के नाम एक भावुक ख़त लिखा और फिर अलविदा कह गईं,लिनी के प्रति संवदेना व्यक्त करते हुए केरल के पर्यटन मंत्री ने उनका ख़त फ़ेसबुक पर शेयर किया, इसके बाद ये ख़त वायरल हो गया और लोग लिनी के सेवाभाव को सराहने लगे,लिनी ने अपने ख़त में लिखा था, ''मुझे नहीं लगता कि अब मैं तुम्हें देख पाऊंगी,हमारे बच्चों की देखभाल करना, उन्हें अपने साथ खाड़ी देश में ले जाना, उन्हें अकेला नहीं छोड़ना, बहुत सारे प्यार के साथ लिनी ने अपने पति सजीश को पत्र लिखा,लिनी कोझीकोड में पेरमबरा अस्पताल में उस टीम का हिस्सा थीं जो निपाह वायरस के पहले मरीज़ का इलाज कर रही थीं. इस दौरान वो भी इस वायरस की चपेट में आ गईं, जब उन्हें पता चला कि अब उनकी जान नहीं बच सकती तो उन्होंने एक कड़ा फ़ैसला किया. उन्होंने अपने पति और दो छोटे-छोटे बच्चों को ख़ुद से दूर रखा और आख़िरी वक़्त तक उनसे नहीं मिलीं.यहां तक कि लिनी की अंत्येष्टि में भी उनका परिवार शामिल नहीं हो सका शादी से पहले लिनी केरल के चेम्बनोद गांव में रहती थीं, उनके पिता नानू की मौत हो चुकी है वो अपने माता-पिता की दूसरी बेटी थीं और पिछले 6 सालों से हॉस्पिटलमें काम कर रही थीं, लिनी के दो छोटे-छोटे बच्चे ह्रितुल और सिद्धार्थ हैं, जो अब अपनी नानी राधा के साथ रह रहे हैं,लिनी के पति सजीश बहरीन में काम करते हैं, नर्स लिनी की निस्वार्थ सेवा हमेशा याद की जाएगी लिनी को मरणौपरांत यह पुरस्कार मिलना गौरव की बात है।
लिनी पुथुसेरी को मरणोपरांत नेशनल फ्लोरेंस नाइटेंगल अवार्ड