वर्तमान मैं कई निजी शालाओं द्वारा निरंतर ऑनलाइन अध्यापन कार्य करवाया जा रहा है परंतु प्रदेश में कई ऐसे परिवार हैं जिनके पास न तो मोबाइल /कंप्यूटर की सुविधा है नहीं सुदूर ग्रामीण क्षेत्र में कनेक्टिविटी है अतः अध्यापन में समस्या आती है वही कुछ परिवार न तो इतने सक्षम है की लगातार डेटा रिचार्ज करवा सकें इसके बावजूद कुछ निजी शालाओं द्वारा लंबी अवधि की कक्षाएं संचालित की जा रही है जिसका दुष्प्रभाव बच्चों के मन पर निश्चित रूप से पड़ता है विशेषकर प्राइमरी स्तर के बच्चों पर एवं ऑनलाइन सत्र के दौरान अभिभावक भी परेशान होते हैं उन्हें पूरे समय बच्चों का ध्यान रखना पड़ता है क्योंकि बच्चे पलक झपकते ही गेम्स की दुनिया में प्रवेश कर जाते हैं राज्य शिक्षा केंद्र का निर्णय स्वागत योग है जिसमें कक्षा पांचवी तक ऑनलाइन कक्षाओं का संचालन पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया गया है वहीं कक्षा छह से आठवीं तक सिर्फ दो सत्रों का संचालन विद्यालय कर सकेंगे जिसकी अवधि 30 से 45 मिनट से अधिक नहीं हो सकेगी एवं ऑनलाइन कक्षाओं की रिकॉर्डिंग विद्यार्थियों को उपलब्ध करवाना अनिवार्य होगा जिससे अभिभावक विद्यार्थियों को अपनी सुविधा अनुसार अध्यापन करा सकें।
अब निजी विद्यालय नहीं कर सकेंगे ऑनलाइन कक्षाओं का मनमाना संचालन